Wednesday, October 24, 2012

छोटी सी गुजारिश है तुमसे

आज,
अचानक से,
फिर देखा तुम्हे,
दिल की गहराइयों में,
फिर महसूस,
किया तुम्हे


ज्यादा कुछ तो,
नहीं बदली तुम,
सिवाय कुछ, extra 5 किलो के.
वही मुस्कान, 

वही लम्बे केश तुम्हारे;
कभी होते थे,  दीवाने जिसके.

याद किया,
वह साहस, वह हिम्मत,
जब कहे थे,
तुमसे हमने, पहले शब्द

बटोरकर वही साहस,
तुम्हारे पास तक आये,
पर जुबान से वो शब्द,
निकल ही न पाए.

गुस्ताखियों को भुला,
हमें भले ही,
फिर दोस्त न बनाइये;
एक गुजारिश है,
ये सेहत कैसे बनायी,
चलिए यही बताइए.

ये सेहत कैसे बनायी,
चलिए यही बताइए.