Wednesday, March 8, 2017

आईना


जब मैं मुस्कुराता हूँ,

हँसता हूँ,
खिलखिलाता हूँ;
जाता हूँ,
सामने आईने के,
बालों को सँवारता,
मुस्कुराता;
कहता हूँ आईने से -

कैद कर के रख,
सूरत मेरी ये,
अपने अंदर.

पर, 
देखना जब,
उदास मुझे,
या दिखें,
इसी चेहरे पर आसूँ;

आजाद कर देना,
इस सूरत को,
कैदखाने से,
और दिखलाना मुझे,
यही सूरत,
बिन आँसुओं के,
मुस्कुराते हुए.