प्रस्तुत कविता कुमारी श्वेता सिंह द्वारा रचित कविता "Who Am I" का हिंदी अनुवाद है. कविता के अनुवाद की अनुमति देने पर मैं उनका आभार प्रकट करता हूँ.
मैं, मैं हूँ; न कम न ज्यादा
शांत, मानो कोई सुख अनंत,
शांत, मानो कोई सुख अनंत,
बिखरी ताश के ढेर सी,
या, खोज में,
पौराणिक कल्पना, जैसी सम्पूर्णता में.
मैं मैं ही हूँ, न कम न ज्यादा
ताजा हवा के झोंके सी,
रेगिस्तान के धूल सी,
दिल की धड़कने भी, कभी मचाती हैं शोर,
औ' कभी होती शांत किसी गहरी घाटी सी,
मैं, मैं हूँ; न कम न ज्यादा
ठहरी, फिर भी चलती हुई
कभी मुस्काती, कभी रोती,
कभी विजेता, कभी पराजित,
मैं,
मैं हूँ;
न कम न ज्यादा.
या, खोज में,
पौराणिक कल्पना, जैसी सम्पूर्णता में.
मैं मैं ही हूँ, न कम न ज्यादा
ताजा हवा के झोंके सी,
रेगिस्तान के धूल सी,
दिल की धड़कने भी, कभी मचाती हैं शोर,
औ' कभी होती शांत किसी गहरी घाटी सी,
मैं, मैं हूँ; न कम न ज्यादा
ठहरी, फिर भी चलती हुई
कभी मुस्काती, कभी रोती,
कभी विजेता, कभी पराजित,
मैं,
मैं हूँ;
न कम न ज्यादा.
good job sir :)
ReplyDeletethanks a lot :)
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