Wednesday, January 22, 2014

"मैं अनन्त हूँ"

कहीं दूर एक आकाशगंगा में एक तारा अपनी उम्र पूरी कर चुका है। उसके अंदर की उर्जा खत्म होती दिखाई दे रही है, वह सिकुड़ता जाता है; उसका अस्तित्व मिटने को है, अचानक!
अचानक से उस तारे में एक महान विस्फोट होता है, और उसके गर्भ से बिखर पड़ते हैं नये बने तत्व सारे ब्रह्माण्ड में। ऐसे करोड़ो अरबों तारों में निर्माण होता है हर उस तत्व का जो हममें हैं। करोड़ों और वर्ष लगते हैं जीवन की उत्पत्ति होने में, और मेरा, मेरा आस्तित्व तो बहुत ही नया और क्षणिक है। पर मुझमे समाहित है वो सारा इतिहास, वो सारी ऊर्जा।
मैं अनन्त हूँ। 

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