कवितायें - कहानियाँ
Sunday, December 8, 2013
चंद पंक्तियों की जिंदगानी
मैं था, वो थी, और खुशियाँ थीं।
मैं हूँ, वो ना है, और ना ही खुशियाँ हैं।
"थीं" और "हैं" के इस फासले में ही सारी जिन्दगी है।
2 comments:
Pankaj Kushwaha
December 9, 2013 at 6:37 AM
बहुत अच्छे.....परिपक्वता नजर आ रही है.!!
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Ragini
April 10, 2014 at 5:28 AM
wonderful lines
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बहुत अच्छे.....परिपक्वता नजर आ रही है.!!
ReplyDeletewonderful lines
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