Saturday, November 14, 2015

क्या से क्या हो गये

जिंदगी की दौड़ में, सब यूँ बढ़ते गये,
कुछ खुदा बन गये, कुछ बुत बन गये।

वो थे बदनसीब, जो वहाँ पर पहुँचे,
जहाँ वो, पत्थर के खुदा बन गये।

हम रूह थे,   जाने कब, जिस्म हो गये,
अपनी चाहत, अपनी ख्वाहिशों से जुदा हो गये।

इक अदद घर की, जरुरत थी हमको,
जो घर थे भी, वो अब मकाँ हो गये।

क्या सोचकर सफर पर चले थे हम 'पंकज'
आईना देखो एक बार, क्या से क्या हो गये।।

Tuesday, November 3, 2015

सवाल बड़े हो गये हैं.

वो जब छोटे थे, तब बहुत अच्छे थे. मासूम से थे. कभी कभी सिर में दर्द करवा देते थे, पर उनको बस एक बार आखें तरेर कर देखो तो शांत हो जाते थे. मामूली से सवाल थे वो जिनका जवाब आता रहा तो ठीक नहीं तो बस "पता नही" कह कर बैठ जाना होता था

पर अब वो बहुत परेशान करते हैं. घंटों तक दिमाग़ में बस वही सब चलता रहता है. अब आँखें तरेर कर देखो तो वो वापस वैसे ही आँखें दिखाते हैं. और उनका इस तरह से देखना दिल और दिमाग़ दोनों को चीर कर रख देता है. कभी कभी तो लगता है कि आख़िर इन सवालों को मैने पहले से क्यूँ नहीं रोक दिया था.

सवाल बड़े हो गये हैं.

Tuesday, October 27, 2015

मुक्ति : यक्ष प्रश्न


बैठे बैठे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो यमुना के घाट पर चला गया. वहीं क्यों? नहीं पता. बस अक्सर होता यही है कि जब कुछ समझ नहीं आता तो वहीं चला जाता हूँ.

शाम का वक़्त था और मछुआरे अपना जाल समेट रहे थे. एक अजीब सी मस्ती थी उन लोगों में. वो मछलियों को जाल से ऐसे निकाल रहे थे मानो वो खिलौना हों. इतना तक ध्यान नहीं था उनको कि कुछ जिंदा मछलियाँ उनके हाथों से वापस कूदकर पानी में चली जाती थीं. बाकी बची मछलियाँ एक टोकरी में डाल दी जा रही थीं, बाजार में बिकने के लिए.

काफ़ी समय तक ये खेल चलता रहा. सब मछुआरे चले गये. सूरज अभी भी लाल होकर क्षितिज पर पड़ा हुआ था अलसाया सा. मेरी तरह उसे भी कहीं जाने की जल्दी नहीं थी. मैं एकटक उसे देख रहा था कि उसमे मुझे मेरा  प्रतिबिंब नज़र आया. और मेरा वो बिंब मुझसे ही सवाल कर रहा था, वैसे ही जैसे बेताल ने विक्रम से किए थे. "बोल राजा! जाल में फँसने के बाद कौन सी मछलियाँ मुक्त हुईं, वो जो वापस पानी में चली गयीं, या वो जो टोकरी में गयीं. और अगर तुमने इसका सही जवाब नही दिया तो तुम्हारा सर टुकड़े टुकड़े हो जाएगा"

मैं अभी तक उसके इस प्रश्न का जवाब ढूंड़ रहा हूँ. आपको समझ आये तो बताइयेगा.