Tuesday, November 3, 2015

सवाल बड़े हो गये हैं.

वो जब छोटे थे, तब बहुत अच्छे थे. मासूम से थे. कभी कभी सिर में दर्द करवा देते थे, पर उनको बस एक बार आखें तरेर कर देखो तो शांत हो जाते थे. मामूली से सवाल थे वो जिनका जवाब आता रहा तो ठीक नहीं तो बस "पता नही" कह कर बैठ जाना होता था

पर अब वो बहुत परेशान करते हैं. घंटों तक दिमाग़ में बस वही सब चलता रहता है. अब आँखें तरेर कर देखो तो वो वापस वैसे ही आँखें दिखाते हैं. और उनका इस तरह से देखना दिल और दिमाग़ दोनों को चीर कर रख देता है. कभी कभी तो लगता है कि आख़िर इन सवालों को मैने पहले से क्यूँ नहीं रोक दिया था.

सवाल बड़े हो गये हैं.

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