जब मैं मुस्कुराता हूँ,
हँसता हूँ,
खिलखिलाता हूँ;
जाता हूँ,
सामने आईने के,
बालों को सँवारता,
मुस्कुराता;
कहता हूँ आईने से -
कैद कर के रख,
सूरत मेरी ये,
अपने अंदर.
पर,
देखना जब,
उदास मुझे,
या दिखें,
इसी चेहरे पर आसूँ;
इस सूरत को,
कैदखाने से,
और दिखलाना मुझे,
यही सूरत,
बिन आँसुओं के,
मुस्कुराते हुए.
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